Karam Ke Baadal Baras Rahe Hain Dilon Ki Kheti Hari Bhari Hai
करम के बादल बरस रहे हैं, दिलों की खेती हरी भरी है ये कौन आया के ज़िक्र जिस का नगर नगर है गली गली है ये कौन बन कर क़रार आया, ये कौन जाने-बहार आया गुलों के चेहरे हैं निखरे निखरे, कली कली में शगुफ़्तगी है नबी को अपना ख़ुदा न मानो, मगर ख़ुदा से…