ऐ ख़त्मे-रुसुल ! मक्की मदनी ! कौनैन मैं तुम सा कोई नहीं

  • Ae Khatm e Rusul Makki Madani Kaunain Mai Tum Sa Koi Nahin

    ऐ ख़त्मे-रुसुल मक्की मदनी ऐ ख़त्मे-रुसुल ! मक्की मदनी ! कौनैन मैं तुम सा कोई नहीं ऐ नूरे-मुजस्सम ! तेरे सिवा महबूब ख़ुदा का कोई नहीं औसाफ़ तो सब ने पाए हैं, हुस्ने-सरापा कोई नहीं आदम से जनाबे ईसा तक, सरकार के जैसा कोई नहीं दिल किस को दिखाएँ चीर के हम, इस्याँ का मदावा…